
माँ ब्रह्मचारिणी: चैत्र नवरात्री का दूसरा दिन
माँ दुर्गा का दूसरा अवतार जिनकी पूजा नवरात्री के दूसरे दिन की जाती है। ये माँ दुर्गा का शिव को पति के तोर पे पाने के लिए की गयी तपस्या की है। माँ का सांत मन सारे भक्तो मई सन्ति का प्रवाह लाता है। आज के दिन सरे भक्तो को पुरे मन से माँ की आराधना करनी चाहिए।
माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का शाब्दिक अर्थ है
ये शब्द संस्कृत से लिया गया है जिसमे -
ब्रह्मा का अर्थ है - तपस्या ओर
चारिणी का अर्थ है - आचरण करने वाली
[शाब्दिक अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली ]
माँ का आचरण की वेख्या / स्वरूप
खाली पैर चलने वाली जिनके बाए हाथ पर जप करने की माला है ओर दाए हाथ पर कमंडल , सफ़ेद वस्त्र द्धारण की हुई जो प्रतिक है पवित्रता ओर सादगी की , उनकी आभा मै आध्यात्मिक शक्ति और दिव्य अनुग्रह।
भक्तो को माँ का दूसरे दिन पूजा करने से अनेको फायदे होते है जिनमे से ये कुछ है -
- आत्म-अनुशासन मतलब अपने विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को नियंत्रित करने की क्षमता है।
- मन की सन्ति जिस से सारे चीज़ो मै अस्थ्पस्थ्ता आने लगता है।
- पढाई में अचछे से मन लगना खासकर बाचो का।
- और जहा सन्ति वह लक्ष्मी (धन की वर्षा)
- नकारात्मक शक्ति दूर होती है और सकारात्मकता आती है।
पूजा करने का सही विधि जो महा ऋषियो द्वारा बताया गया है।
- प्राण प्रतिस्ठा - मूर्ति मै देवी माँ को बुलाना।
- पुष्पांजलि - फूलो की भेट।
- देवी की आरती ओर मंत्र।
- नैवेद्य - माँ को फल ओर मिठाई की भोग लगाना।
देवी माँ का मंत्र जाप ओर प्रार्थना
मंत्र - ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नम: [Oṃ Devī Brahmacāriṇyai Namaḥ]
प्रार्थना - दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Dadhana kara Padmabhyam akshamala kamandalu।
Devi prasidathu mayi brahmacharinya-uttama॥
Ya Devi Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupena Samsthita।
Namastasyai Namastasyai Namastasyai Namo Namah
देवी माँ का सबसे भव्य मंदिर
माँ ब्रह्मचिरिणी का सबसे प्रशिद्ध मंदिर है हनुमानगंज, बलिया, उत्तर प्रदेश।
माँ की प्रतिमा ओर पंडाल बनाने के कारन - क्या इन चीज़ो के बिना पूजा करना पॉसिबल नहीं है
दुर्गा पूजा को सबसे ज्यादा कोलकाता मै मनाया जाता है बहुत ही भव्य तरीके से, कल्चरल प्रोग्राम्स और गाने बजने से लोगो मै पूजा को ले कर उत्शाह बढ़ता है ओर मन ख़ुशी से उत्शहित हो जाता है।
संछेप मै : दुर्गा पूजा का दूसरा दिन सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं है बल्कि धैर्य, अनुशाशन, विनम्रता ओर भक्ति के मूल्यों की याद दिलाता है। यह आध्यात्मिक साधना को सांस्कृतिक उत्शाह से जोड़ता है, जिससे यह तहोयर के सबसे सार्थक दिनों मै से एक बन जाता है।